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जेनर डायोड क्या है? जेनर डायोड का उपयोग वोल्टेज रेगुलेटर के रूप में परिपथ आरेख की सहायता से समझाइए।

या 

जेनर डायोड क्या होता है? इसका प्रतीक चिन्ह प्रदर्शित कीजिए। जेनर डायोड का वोल्टता नियंत्रक के रूप में प्रयोग परिपथ बनाकर समझाइए।

या 

जेनर डायोड क्या होता है? इसको वोल्टेज रेगुलेशन में किस प्रकार प्रयोग करते हैं? परिपथ आरेख बनाकर समझाइए। 

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जेन्प डायोड उत्क्रम अभिनत गहन अपमिश्रित सिलिकॉन अथवा जर्मेनियम p–n सन्धि डायोड होता है जो भंजक क्षेत्र में कार्य करता है। इसका यह नाम इसके आविष्कारक वैज्ञानिक क्लारेन्स जेनर (Clarence Zener) के नाम पर ही रखा गया है। इसके परिपथ में पश्च धारा (reverse current) को बाहरी प्रतिरोध और डायोड के ऊर्जा क्षय द्वारा सीमित किया  जाता है। इसमें सिलिकॉन को उसके उच्च ताप स्थायित्व और धारा क्षमता के बैटरी प्रतिरोध कारण जर्मेनियम की तुलना में वरीयता दी जाती है। इसका परिपथ चित्र एवं संकेत चित्र में दर्शाया गया है।

जेनर डायोड एक ऐसा डायोड है, जो सामान्य डायोडों की भाँति अग्र दिशिक होने पर अग्रधारा (forward current) को अपने में से प्रवाहित  होने की अनुमति प्रदान तो करता ही है इसके साथ ही उत्क्रम अभिनति होने पर भी पश्च धारा आसानी से बह सकती है यदि आरोपित वोल्टता एक निश्चित मान से अधिक हो। 

वोल्टता नियन्त्रक के रूप में जेनर डायोड 

सिद्धान्त: 

जब जेनर डायोड को उत्क्रम अभिनत भंजक क्षेत्र में प्रचालित करते हैं तो धारा में अधिक परिवर्तन के लिए इसके सिरों पर वोल्टता नियत बनी रहती है। यह भंजक विभवान्तर VZ के बराबर होती है। यही विभव नियन्त्रक (नियामक) के रूप में इसके प्रयोग का सिद्धान्त है।

परिपथ आरेख एवं कार्यविधि: 

चित्र में जेनर डायोड को विभव नियामक के रूप में प्रयुक्त करने का परिपथ आरेख दर्शाया गया है। अनियन्त्रित नियन्त्रित यह लोड प्रतिरोध R,, के सिरों के बीच उत्क्रम निवेश । अभिनति अवस्था में जोड़ा जाता है। इसके प्रतिरोध श्रेणीक्रम में प्रतिरोध R जोड़ते हैं। यदि निवेशी चित्र वोल्टता बढ़ती है तो R तथा जेनर डायोड में धारा बढ़ेगी। इससे R के सिरों की वोल्टता बढ़ती है, जबकि जेनर डायोड की वोल्टता में कोई परिवर्तन नहीं होता क्योंकि भंजक क्षेत्र में होने के कारण इसकी जेनर वोल्टता नियत रहती है, भले ही इसमें धारा बढ़ती हो। इसी प्रकार यदि निवेशी वोल्टता घटती है तो R के सिरों की वोल्टता घटेगी तथा जेनर डायोड की वोल्टता में कोई परिवर्तन नहीं आयेगा। इस प्रकार निवेशी वोल्टता में किसी भी प्रकार का परिवर्तन R की वोल्टती में वैसा ही परिवर्तन कर देता है जबकि जेनर डायोड की वोल्टता नियत रहती है। इस प्रकार जेनर डायोड एक विभव नियामक (voltage regulator) के रूप में कार्य करता है। चित्र में, V0 = VZ = IZ .RZ = ILRL

तथा VZ =  Vin – IR 

चित्र में जेनर डायोड विभव नियामक के लिए निर्गत वोल्टता तथा निवेशी वोल्टता के बीच ग्राफ प्रदर्शित किया गया है। ग्राफ से स्पष्ट है कि उत्क्रम भंजक वोल्टता VZ के पश्चात् निर्गत वोल्टता नियत रहती है।

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