AND गेट: यह एक द्वि-निवेशी (two-input) तथा एकल-निर्गत (one-output) लॉजिक गेट है। यह दो निवेशी चरों A तथा B को संयुक्त करके एक निर्गत चर Y देता है। इसका बुलियन व्यंजके इस प्रकार है A . B=Y
जिसे ‘A AND B equals Y’ पढ़ा जाता है। इसका लॉजिक संकेत चित्र (a) में दर्शाया गया है।
व्यवहार में AND गेट प्राप्त करना (Realisation of AND Gate): व्यवहार में, AND गेट दो p- n सन्धि डायोडों D1 व D2 से निर्मित वैद्युत परिपथ से प्राप्त किया जा सकता है (चित्र 14.48)। प्रतिरोधक R एक 5V बैटरी के धन टर्मिनल से स्थायी रूप से जुड़ा है। निवेशी टर्मिनल A व B एक अन्य 5V बैटरी की सहायता से 0 V (स्तर 0) अथवा 5V (स्तर 1) पर रखे जा सकते हैं। इस बैटरी का ऋण टर्मिनल भू-सम्पर्कित है।
निवेशियों A व B के चार सम्भव संयोग हैं
1. जब निवेशी टर्मिनल A व B दोनों भू-सम्पर्कित हैं (A = 0, B = O), तब दोनों डायोड D1 व D2 अग्र-अभिनत होने के कारण चालित होते हैं। यदि डायोड आदर्श हैं, तब इनमें कोई विभव-पतन नहीं होता। अतः प्रतिरोधक R में 5V का विभव-पतन होता है तथा इसका सिरा C, पृथ्वी के सापेक्ष शून्य विभव पर होता है। इस प्रकार, निर्गत Y, जो कि प्रतिरोधक R के सिरे C पर वोल्टेज है, शून्य होता है (Y = 0)। यह स्थिति सत्यता सारणी [चित्र (b)] की पहली पंक्ति में व्यक्त की गयी है।
2. जब निवेशी टर्मिनल A भू-सम्पर्कित है तथा B, 5V बैटरी के धन टर्मिनल से जुड़ा है। (A = 0, B = 1), तब डायोड D1 चालित होता है परन्तु D2 चालित नहीं होता (क्योकि यह अग्र-अभिनत नहीं है)। यदि D1 आंदर्श है, तब इसमें कोई विभव-पतन नहीं होता। अत: प्रतिरोधक R में 5V का विभव-पतन होता है तथा इसका सिरा C पृथ्वी के सापेक्ष, शून्य विभव पर होता है। अतः निर्गत Y पुन: शून्य होता है (Y = 0)। यह स्थिति सत्यता सारणी [चित्र (b)] की दूसरी पंक्ति में व्यक्त की गयी है।
3. जब निवेशी टर्मिनल A. 5V बैटरी के धन टर्मिनल से जुड़ा है तथा B भू-सम्पर्कित है। (A = 1, B = 0), तब डायोड D2 चालित होता है। यदि यह डायोड आदर्श है, तब इसमें कोई विभव-पतन नहीं होता। अत: पुन: प्रतिरोधक R में 5V का विभव-पतन होता है तथा इसका सिरा C पृथ्वी के सापेक्ष, शून्य विभव पर होता है। अतः निर्गत Y अब भी शून्य होता है (Y = 0)। यह स्थिति सत्यता सारणी [चित्र (b)] की तीसरी पंक्ति में व्यक्त की गयी है।
4. जब टर्मिनल A व B दोनों 5V बैटरी के धन टर्मिनल से जोड़े जाते हैं (A = 1, B = 1), तब कोई भी डायोड चालित नहीं होता तथा प्रतिरोधक R में धारा नहीं होती। अत: प्रतिरोधक का ऊपरी सिरा C उसी विभव पर होता है जिस पर कि उसका निचला सिरा होता है, अर्थात् पृथ्वी के सापेक्ष, +5 V पर। इस प्रकार, अब निर्गत सिरा Y भी + 5V पर होता है (Y = 1)। यह स्थिति सत्यता सारणी । [चित्र (b)] की अन्तिम पंक्ति में व्यक्त की गयी है। स्पष्ट है कि AND गेट में, यदि दोनों निवेशी 1 हैं तभी निर्गत भी 1 होता है, अन्यथा निर्गत 0 होता है।