प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ की कहानी ‘बड़े घर की बेटी’ से लिया गया है। इसके लेखक मुंशी प्रेमचन्द हैं।
संदर्भ : इस वाक्य को देवर लाल बिहारी अपनी भाभी आनंदी से कहता है।
स्पष्टीकरण : जब लालबिहारी आनन्दी से माँस पकाने को कहता है तो आनन्दी थोड़ा ही घी होने के कारण सारा घी माँस में डाल देती है। जब लालबिहारी आनन्दी से पूछता है कि दाल में घी क्यों नहीं डाला, तो आनन्दी कहती है कि सारा घी खत्म हो गया। गुस्से में लालबिहारी आकर कहता है कि अभि परसों ही घी खरीदकर लाया था इतनी जल्दी खत्म हो गया?