विद्यार्थियों की अनुशासनहीनता का मुख्य कारण माता-पिता की ढिलाई है। माता-पिता के संस्कार ही बच्चे पर पड़ते हैं। बच्चे की प्राथमिक पाठशाला घर होता है। उसके संस्कार घर में से ही खराब हो जाते हैं। पहले तो प्यार के कारण माता-पिता कुछ करते नहीं; वह जहाँ बैठे और जहाँ चाहे खेले, जो मन में आए वह करे। पर जब हाथी के दाँत बाहर निकल आते हैं, तो उन्हें चिंता होती है, फिर वे अध्यापकों की आलोचना करना आरंभ कर देते हैं। दूसरा कारण आज की अपनी शिक्षा प्रणाली है जिसमें नैतिक या चारित्रिक शिक्षा को कोई स्थान नहीं दिया जाता। पहले विद्यार्थियों को दंड का भय बना रहता था पर अब आप विद्यार्थियों को हाथ नहीं लगा सकते क्योंकि शारीरिक दंड अपराध है। केवल जबानी जमा खर्च कर सकते हैं। इसमें विद्यार्थी बहुत तेज होता है, आप एक कहेंगे, वह आपको चार सुनाएगा। पश्चिमी संगीत, नृत्य तथा चलचित्रों ने भी विद्यार्थियों का बिगड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इनके कारण उनमें चरित्रहीनता, उच्छृखलता इस हद तक बढ़ती जा रही है कि यदि समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया गया, तो देश का भविष्य ही अंधकारपूर्ण हो जाएगा।
1) माता-पिता की ढिलाई किस प्रकार विद्यार्थियों को अनुशासनहीन बनाती है?
2) ‘पर जब हाथी के दाँत निकल आते हैं, तो उन्हें चिंता होती है’ पंक्ति का क्या आशय है?
3) आज की शिक्षा प्रणाली अनुशासनहीनता को किस प्रकार बढ़ावा देती है?
4) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।।
5) वर्तमान विद्यार्थियों में क्या हद तक बढ़ती जा रही है?