सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी मानव है। अतीत में एक समय था जब वह प्रायः पशु के समान ही था। दीर्घकालीन संघर्ष के पश्चात वह सर्वश्रेष्ठ बन सका। भीमकाय, बड़े भयंकर और अति-बलशाली पशुओं से संघर्ष था। मानव की विजय का कारण उसका शारीरिक बल उतना नहीं था जितना उसका बौद्धिक बल था। पशु अंतःप्रेरणा से एक सीमित क्षेत्र में ही काम करते हैं। उनमें जो परिवर्तन होता है, वह प्रकृति के कारण से होता है जबकि मानव अपनी बुद्धि का प्रयोग करके विस्तृत क्षेत्र में काम करता है। मानव की ‘जिज्ञासा वृत्ति’ भी उसे पशुओं से भिन्न करती है। प्रकृति के रहस्यों को खोजने, उन्हें उपयोग में लाकर जीवन को अधिक सुखमय बनाने तथा ज्ञान-विस्तार के मूल में उसकी ‘जिज्ञासा’ ही है, जिसका पशुओं में सर्वथा अभाव है। एक विशेष गुण मानव में और है, वह है – ‘सौंदर्यानुभूति’। सृष्टि के समस्त चराचरों में केवल मानव ही सुंदर और भद्दी वस्तुओं में भेद कर सकता है। अपने इस विवेक के कारण ही वह कलाकार बन सकता है तथा ललित कलाओं का विकास भी संभव हो पाया है।
1) मनुष्य को सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी क्यों कहा जाता है?
2) मनुष्य और पशु में क्या अंतर है?
3) मनुष्य की ‘जिज्ञासा’ वृत्ति ने उसे क्या लाभ पहुँचाया है?
4) मानव में कौन सा विशेष गुण है?
5) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।