प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य गौरव’ के ‘सूरदास के पद’ से लिया गया है, जिसके रचयिता सूरदास जी हैं।
संदर्भ : श्रीकृष्ण के रूप-सौन्दर्य का वर्णन इस में देखने को मिलता है।
भाव स्पष्टीकरण : ब्रज की नारियों ने जमुना तट पर श्रीकृष्ण को देख लिया। उन्होंने सिर पर मोर-मुकुट, कानों में मकर के आकार का कुण्डल और शरीर पर पीले रंग का रेश्मी वस्त्र धारण किया हुआ था। शरीर पर चन्दन लेपन से श्रीकृष्ण अत्यंत शोभायमान लग रहे थे। ऐसे श्रीकृष्ण के शोभायमान रूप के दर्शन कर ब्रज नारी की आँखें तृप्त हो गईं। उनके हृदय का ताप बुझ गया। वे श्रीकृष्ण के प्रेम में डूब गईं। उनका हृदय भर आया और वे उस अलौकिक आनंद का शब्दों में वर्णन न कर सकीं। वाणी मुख में ही रह गई।
विशेष : यहाँ श्रीकृष्ण के अलौकिक रूप-सौन्दर्य का वर्णन हुआ है।
अलंकारः अनुप्रास।
भाषाः ब्रज भाषा जो कोमलकान्त पदावली के लिए प्रसिद्ध है।