प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठय पुस्तक ‘साहित्य गौरव’ के ‘एक वृक्ष की हत्या’ नामक आधुनिक कविता से लिया गया है, जिसके रचयिता कुँवर नारायण हैं।
संदर्भ : प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने उस वृक्ष को हमेशा दोस्त के रूप में माना था जिसके कट जाने पर उसकी यादें कवि को बार-बार सताती है। वह हमेशा दरवाजे पर बूढ़े चौकीदार की तरह तैनात रहता था।
भाव स्पष्टीकरण : कवि कई दिनों बाद घर लौटा तो देखा कि उसके घर के निकट जो पेड़ हुआ करता था वह कट गया है। वह पेड़ जिसके इर्द-गिर्द उसका बचपन बीता, कहीं नहीं था। वह पेड़ बूढ़ा हो गया था पर ठाठ उसकी हमेशा रहती थी। वह एक बूढ़े चौकीदार सा नियुक्त उसके घर की रखवाली करता था।