प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य गौरव’ के ‘एक वृक्ष की हत्या’ नामक आधुनिक कविता से लिया गया है, जिसके रचयिता कुँवर नारायण हैं।
संदर्भ : इस कविता में कवि ने वृक्षों के प्रति अपनी संवेदना जताई है।
भाव स्पष्टीकरण : बचपन से ही अपने घर पर तैनात चौकीदार वृक्ष न दिखने पर कवि उदास हो जाते हैं और उसकी याद में खो जाते है। कवि और उस वृक्ष का एक रिश्ता बना हुआ था। दोस्ती हो गयी थी। धूप में, गर्मी में, बारिश में, सर्दी में हमेशा चौकन्ना, छायादार पेड़ के कट जाने पर कवि का क्षोभ बढ़ जाता है। वृक्षों के महत्व को समझाते हुए कवि कहते हैं- ऐसे जानी दुश्मनों से, नादिरों से, लुटेरों से, पर को, शहर को, देश को बचाना है। कवि ने स्वार्थी मनुष्य को धिक्कारा है।