भारवी से संबंधित माता-पिता के बीच होनेवाला प्रारंभिक संवाद इस प्रकार से है – भारवि के पिता श्रीधर अपनी पत्नी सुशीला को वेद सुना रहे हैं। सुशीला का ध्यान कहीं और है क्योंकि अभी तक उसका पुत्र घर नहीं आया। श्रीधर कहते हैं कि भारवि शास्त्रार्थ में पण्डितों को पराजित करता जा रहा था और इस वजह से उसका घमण्ड बढ़ता जा रहा था। मैंने उसे ताड़ना दी क्योंकि मैं चाहता था कि मेरा पुत्र सुमार्ग पर चले। इसके लिए कभी-कभी ताड़ना अनिवार्य हो जाती है। सुशीला कहती है कि माँ के हृदय को शास्त्रार्थ के नियमों में नहीं बाँधा जा सकता।