जब पुत्र भारवि वापस नहीं लौटा तो माता सुशीला बहुत चिंतित हो गई। बार-बार अपने पुत्र की खोज के लिए पति श्रीधर से आग्रह करने लगी। श्रीधर हिम्मत करते हुए कहते हैं कि पुत्र तो है ही, किन्तु वह संसार का जनक भी है। अपनी कल्पना से वह न जाने कितने संसारों का निर्माण कर सकता है। श्रीधर उसे जनपदों से खोज लाने का वादा करते हैं, राजकीय सहायता लेकर उसको खोजने की बात करते है। सुशीला को शांत रहने के लिए कहते हैं।