भारती महाकवि भारवि के शास्त्रार्थ से प्रभावित होकर उनसे मिलने के लिए उनके घर आती है। भारवि उस समय घर पर नहीं थे। भारती ने सुशीला को बताया कि उसने भारवि को उषा बेला में मालिनी तट पर देखा था। उस समय भारवि ध्यान मग्न थे। उसने उनका ध्यान भग्न नहीं किया। श्रीधर ने भारती से कहा कि जैसे ही भारवी आएगा तुम्हें उसकी सूचना दे दी जाएगी। भारती ने कहा कि वह स्वयं अगले दिन सुबह आएगी।