शहरी जीवन आडंबर और सुख – सुविधाओं से युक्त होता है। यहाँ के लोग अत्याधुनिक सुविधाओं का उपयोग करते हैं। यहाँ भीड़ और शोर – शराबा भी अधिक होता है। शहरी लोग परिश्रमी होते हैं तथा हर समय व्यस्त रहते हैं। लोगों के पास पड़ोसियों, मित्रों तथा रिश्तेदारों से मिलने का कम समय होता है। शहरों में कुछ लोगों के पास जीवनयापन के असीमित साधन होते. हैं। वहीं कुछ लोग बहुत ही गरीब होते हैं। गरीब लोगों को गन्दी बस्तियों में रहना पड़ता है।
भारत को कभी गाँवों का देश कहा जाता था। आजादी के बाद भारत में शहरीकरण तेजी से बढ़ा है। कई बड़े – बड़े नगर भारत में विकसित हो गए हैं। रोजगार के अवसरों की उपलब्धता, अच्छी शिक्षा एवं अच्छी चिकित्सा सुविधाओं के चलते लोग गाँव से शहर की ओर पलायन करते हैं। शहरों में आधुनिक जीवन की वो सभी सुविधाएं मिलती है जो गाँवों में नहीं मिलती है। शहर में हर प्रकृति और स्वभाव के लोगों के लिए स्थान है। यहाँ सामाजिक भेदभाव कम ही होता है। लोग एक दूसरे के जीवन में कम हस्तक्षेप करते हैं। इन कारणों से भी लोग शहरों की ओर खींचे चले आते है। शहर का जीवन भागदौड़ का जीवन भी कहा जाता है। यहाँ बहुत प्रतिस्पर्धा होती है जो लोगों में तनाव को जन्म देती है। प्रत्येक दिन व्यक्ति को नई – नई समस्याओं का सामना करना होता है। इन समस्याओं और उलझनों से लोगों को जल्दी से जल्दी तालमेल बिठाना होता है।
प्रायः लोग शहरों में रहना ही पसंद करते है। शहर वास्तव में उन लोगों के लिए विश्वविद्यालय हैं जो अनुभव और अवलोकन से कुछ सीखना चाहते हैं। शहरों के प्रति प्रेम के कई कारण है। इसीलिए लोग शहरों की हानियों को भी स्वीकार कर लेते हैं। शहरों में हजारों व्यवसाय, उद्योग – धन्धे है।
किसी ने ठीक कहा है कि “यदि आप चाहते हैं कि आपको सभी जाने और आप कुछ न जाने तो गाँव में रहे, परन्तु यदि जानना चाहते हैं और आपको कोई न जाने, तो शहरों में रहो।’