कर्नाटक भारत का आठवां सबसे बड़ा राज्य है। इसकी जनसंख्या करीब छः करोड़ है। कर्नाटक की प्राकृतिक सुषमा नयन मनोहर है। कर्नाटक राज्य में तीन प्रधान मंडल हैं: तटीय क्षेत्र करावली, पहाड़ी क्षेत्र मलेनाडु जिसमें पश्चिमी घाट आते हैं, तथा तीसरा बयलुसीमी क्षेत्र जहां दक्खिन पठार का क्षेत्र है। राज्य का अधिकांश क्षेत्र बयलुसीमी में आता है और इसका उत्तरी क्षेत्र भारत का सबसे बड़ा शुष्क क्षेत्र हैं।
कर्नाटक की आधिकारिक और सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा कन्नड़ है और इसकी राजधानी बेंगलूरु है। बेंगलूरु शिक्षा, उद्योग तथा विज्ञान का केन्द्र माना जाता है। इसे ‘सिलिकॉन सिटी’ भी कहते हैं। यह भारत में हो रही त्वरित आर्थिक एवं प्रौद्योगिकी का अग्रणी योगदानकर्ता है। भारत में कर्नाटक जैवप्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी अग्रणी है।
सर सी.वी. रामन, सर एम. विश्वेश्वरय्या, डॉ. सी.एन.आर. राव, डॉ. शकुंतला देवी जैसे दिग्गजों ने वैज्ञानिक तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नारायण मूर्ति ने कर्नाटक का नाम रोशन किया है। सन् 2013 में डॉ. सी.एन.आर. राव को ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया है।
कर्नाटक में सोना, ताँबा, लोहा आदि कई प्रकार की उपयोगी धातुएँ मिलती हैं। कागज, लोहे. और इस्पात के कारखाने हैं। चीनी, सिमेंट, रेशम के भी कारखाने हैं। कर्नाटक को ‘चंदन का आगार’ भी कहते हैं। भारत के अग्रणी बैंकों में से सात बैंकों का उद्गम इसी राज्य से हुआ था। भारत के. करोड़ों रेशम उद्योग से अधिकांश भाग कर्नाटक राज्य में आधारित है। यहाँ की बेंगलोर सिल्क और मैसूर सिल्क विश्वप्रसिद्ध हैं।
अपने विस्तृत भूगोल, प्राकृतिक सौन्दर्य एवं लम्बे इतिहास के कारण कर्नाटक राज्य बड़ी संख्या में पर्यटन आकर्षणों से परिपूर्ण है। राज्य के मैसूर में स्थित महागाजा पैले” इतना आलीशान एवं खूबसूरत बना है, कि उसे विश्व के दस कुछ सुंदर महलों में गिना जाता है। कर्नाटक के पश्चिमी घाट में आनेवाले तथा दक्षिणी जिलों में प्रसिद्ध पारिस्थितिकी पर्यटन स्थल हैं जिनमें कुद्रेमुख, मडिकेरी तथा आगुम्बे आते हैं। राज्य में 25 वन्य जीवन अभयारण्य एवं 5 राष्ट्रीय उद्यान हैं। इनमें से कुछ प्रसिद्ध हैं बंडीपुर राष्ट्रीय उद्यान, बनेरघट्टा राष्ट्रीय उद्यान एवं नागरहोले राष्ट्रीय उद्यान।
हम्पी में विजयनगर साम्राज्य के अवशेष तथा पत्तदकल में प्राचीन पुरातात्विक अवशेष युनेस्को विश्व धरोहर चुने जा चुके हैं। इनके साथ ही बादामी के गुफा मंदिर तथा ऐहोले के पाषाण मंदिर बादामी चालुक्य स्थापत्य के अद्भुत नमूने हैं तथा प्रमुख पर्यटक आकर्षण बने हुए हैं। यहाँ बने गोलगुम्बज तथा इब्राहिम रौजा दक्खन सल्तनत स्थापत्य शैली के अद्भुत उदाहरण हैं। श्रवणबेलगोला में स्थित गोमटेश्वर की 18 मीटर ऊंची मूर्ति विश्व की सर्वोच्च एकाश्म प्रतिमा है। हाल के कुछ वर्षों में कर्नाटक स्वास्थ्य रक्षा पर्यटन हेतु एक सक्रिय केन्द्र के रूप में भी उभरा है। राज्य में देश के सर्वाधिक स्वीकृत स्वास्थ्य प्रणालियाँ और वैकल्पिक चिकित्सा उपलब्ध हैं।
कर्नाटक का विश्वस्तरीय शास्त्रीय संगीत में विशिष्ट स्थान है, जहां संगीत की कर्नाटिक और हिन्दुस्तानी शैलियाँ स्थान पाती है। राज्य में दोनों ही शैलियाँ के पारंगत कलाकार हुए हैं। वैसे कर्नाटिक संगीत में कर्नाटिक नाम कर्नाटक राज्य विशेष का ही नहीं, बल्कि दक्षिण भारतीय शास्त्रीय संगीत को दिया गया है।
कर्नाटिक संगीत के कई प्रसिद्ध कलाकार जैसे गंगूबाई हंगल, मल्लिकार्जुन मंसूर, भीमसेन जोशी, बसवराज राजगुरु, सवाई गंधर्व और कई अन्य कर्नाटक राज्य से हैं और इनमें से कुछ को कालिदास सम्मान, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से भी भारत सरकार ने सम्मानित किया हुआ है।
राज्य में भारत के कुछ प्रतिष्ठित शैक्षिक और अनुसंधान संस्थान भी स्थित हैं, जैसे भारतीय विज्ञान संस्थान, भारतीय प्रबंधन संस्थान, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, आई.आई.टी., कर्नाटक और भारतीय राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय आदी।
बसवण्णा, अक्कमहादेवी, अल्लमप्रभु, सर्वज्ञ जैसे संतों ने अपने अनमोल वचनों से मार्गदर्शन किया है, तो पुरंदरदास, कनकदास आदि भक्त कवियों ने नीति और भक्ति की सरिता का प्रवाह किया है। इतना ही नहीं, पंपा, रन्ना, पोन्ना, कुमारव्यास, हरिहर, राघवांक जैसे कवियों ने कन्नड़ साहित्य को समृद्ध किया है।
वर्तमान में कुवेंपु, बेंद्रे, शिवराम कारंत, मास्ति वेंकटेश अय्यंगार, गोकाक, अनन्तमूर्ति, कार्नाड तथा कंबार दिग्गज साहित्यकारों को ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ है। यह हमारे कर्नाटक राज्य के लिए गौरव का विषय है। इन्ही कारणों से मेरा कर्नाटक महान है और मुझे अपने कर्नाटक राज्य पर बहुत गर्व है।