गाँधीजी इस युग के महानतम व्यक्ति है। उन्होंने भारत को ही नहीं, अपितु विश्व की सम्पूर्ण पीड़ित मानवता को सत्य और अहिंसा का अमोघ शस्त्र देकर विश्व को शान्ति का पाठ पढ़ाया। आज विश्व में ऐसा कौन सा मानव हैं, जिसने महात्मा गाँधी का नाम न सुना हो।
उनका पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गाँधी था। इनका जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को काठियावाड़ प्रदेश के पोरबन्दर नामक स्थान में एक उच्च परिवार में हुआ था। पिता करमचन्द पहले पोरबन्दर, पीछे राजकोट और फिर बीकानेर के दीवान रहे। आपकी माता पुतलीबाई बहुत साधु स्वभाव और पूजा-पाठ तथा व्रत-उपवास में विश्वास रखने वाली महिला थी। आपकी शिक्षा अधिकतर राजकोट में ही हुई। 17 वर्ष की आयु में आपको बैरिस्टरी की शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैण्ड भेजा गया। सन् 1888 में आप बैरिस्टरी पास करके भारतवर्ष लौट आये।
गाँधीजी के जीवन के बीस वर्ष दक्षिण अफ्रीका के आंदोलन में व्यतीत हुए। दक्षिण अफ्रीका में अपने कार्य में सफलता प्राप्त करके सन् 1914 में वे भारतवर्ष लौटे। भारत आने पर कुछ दिनों तक आप श्री गोपालकृष्ण गोखले के साथ रहे। 1920 के असहयोग आन्दोलन में आपकी अग्रणी भूमिका थी। आपने विदेशी वस्त्र आदि का बहिष्कार किया तथा खादीप्रचार, अछूतोद्धार, मादक द्रव्य-निषेध, हिन्दू-मुस्लिम एकता का चतुर्मुखी कार्यक्रम काँग्रेस के समक्ष रखा।
सन् 1930 में आपने नमक कानून का विरोध किया तथा भारतीयों के अधिकारों की रक्षा की। 1942 में उन्होंने जो ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ छेड़ा, उससे अंग्रेजों ने समझ लिया कि अब हमें भारत से जाना ही होगा। इनके ही प्रयत्नों से 15 अगस्त सन् 1947 को देश स्वतन्त्र हुआ। आपकी मृत्यु 30 जनवरी सन् 1948 को हुई। गाँधीजी नेता, विचारक और अध्यात्मिक पुरुष थे। भारत को एक महान् राष्ट्र बनाने वाले गाँधीजी ही थे। इसीलिए वे ‘राष्ट्रपिता’ अथवा ‘बापू’ कहलाए।