कठिन शब्दार्थ-सोहत = शोभा पाते हैं। ओढ़े = ओढ़कर, धारण करके। पीत पटु = पीताम्बर, पीला वस्त्र। स्याम = श्रीकृष्ण। सलौने = लावण्य मय, आकर्षक। गात = शरीर। मनौ = मानो। नीलमनि = नीलम नामक रत्न। सैल = शिला, पर्वत। आतप = धूप। परयौ = पड़ रही हो। प्रभात = प्रातः काल॥
संदर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत दोहो हमारी पाठ्यपुस्तक में संकलित कवि बिहारी के दोहों से लिया गया है। इस दोहे में कवि पीताम्बर धारी कृष्ण के श्याम शरीर में प्रात:कालीन धूप की संभावना व्यक्त कर रहा है।
व्याख्या-बिहारी कहते हैं-अपने श्यामल शरीर पर पीताम्बर धारण किए हुए श्रीकृष्ण ऐसे लगते हैं, मानो किसी नीलम की शिला पर प्रात:काल की पीली धूप पड़ रही हो।
विशेष-
(i) कवि ने श्रीकृष्ण के पीताम्बर से सुशोभित श्याम वर्ण शरीर की शोभा का वर्णन सटीक उत्प्रेक्षा के द्वारा किया है।
(ii) अपनी कल्पना शक्ति और सटीक उपमानों का चयन करके कवि ने काव्य-प्रेमी पाठकों के मन में मनमोहन की चित्ताकर्षक छवि साकार कर दी है।
(iii) भाषा के प्रयोग में कवि की कुशलता और शब्द-चित्र साकार करने वाली वर्णन शैली का, सुन्दर उदाहरण प्रस्तुत हुआ है।
(iv) दोहे में उत्प्रेक्षा (‘मनों ………………. पर्यो प्रभात) तथा ‘पीत-पट’, ‘स्याम सलौने’ तथा ‘आतप पयौ प्रभात में अनुप्रास अलंकार है।