कवि भूषण अलंकार-प्रेमी कवि हैं। प्रस्तुत छंद में भी उनकी अलंकार-प्रियता का प्रमाण मिल रहा है। छंद में “अखंड, नवखंड, महिमंडल में अनुप्रास अलंकार है। प्रथम ‘नाग’ का अर्थ सर्प तथा द्वितीय ‘नाग’ शब्द का अर्थ हाथी होने से यमक अलंकार भी है। छंद में उदाहरण के साथ ही मालोपमा अलंकार भी है। कवि ने अनेक उदाहरण देते हुए पातसाही’ पर शिवराज का दावा सिद्ध किया है। साथ ही अनेक उपमानों को प्रस्तुत करते हुए शिवाजी की वीरता और प्रभुत्व से तुलना की है। छंद में वीररस की योजना है। शिवाजी के पराक्रम और दबदबे के वर्णन द्वारा, पाठकों के हृदयों में उत्साह का संचार किया गया है।