कोई व्यक्ति सरकार के मन्त्री के पास जाता है तथा उससे निवेदन करता है कि वह सम्बन्धित अधिकारी से कहकर उसका काम करा दे। पहले मन्त्री उसकी टोपी का रंग देखता है। आशय यह है कि वह यह सुनिश्चित करता है कि वह व्यक्ति उसकी पार्टी का है या किसी दूसरी पार्टी का। यदि उसकी पार्टी का है तो काम हो जायगा, अन्य को नहीं । लेखक के प्रश्नगत कथन से पता चलता है कि मन्त्री महोदय का व्यवहार समानता पर आधारित नहीं है। इससे शासकीय पक्षपातपूर्ण नीति का पता चलता है।
प्रजातन्त्र में कानून तथा शासन की दृष्टि में सभी समान होते हैं। धर्म, जाति, लिंग, रंग, पार्टी आदि के आधार पर उनमें कोई असमानता नहीं होती। सरकार किसी काम को करने न करने के लिए कर्मचारियों से नहीं कहती। सरकारी अफसर निष्पक्ष तथा स्वतन्त्र होकर नियमानुसार काम करते हैं। सरकार केवल पॉलिसी अथवा नीति बना देती है। यदि कोई सरकार अथवा उसका कोई मन्त्री ऐसा करता है तो यह सरकार का पक्षपात माना जाता है। सरकार को ऐसी कार्य प्रणाली से प्रजातन्त्र कमजोर होता है। सरकारी कर्मचारियों में सत्तारूढ़ दल की बात मानने तथा उससे अनुचित लाभ उठाने की प्रवृत्ति पैदा हो जाती है।