मंदोदरी ने कहा कि जो राम खिलवाड़ की भाँति सागर पर सेतु बनाकर सहज ही लंका के तट पर आ पहुँचे, वह साधारण मनुष्यं कैसे हो सकते हैं ? राम ने अपना दूत अंगद रावण की भलाई के लिए ही भेजा। उसका बल सभी बलशाली बनने वाले सभासदों को पता चल गया। वह सारी सभा को मथकर चला गया और बलवान रावण कुछ न कर पाया ! जिसके हनुमान और अंगद जैसे सेवक हों उसे बार-बार नर कहना मूर्खता है। मंदोदरी ने रावण को समझाया कि वह काल के वशीभूत हो चुका था तभी वह अपने सिर पर मँडरा रहे विनाश को नहीं समझ पा रहा था। उसके धर्म, बल, बुद्धि और विचार शक्ति नष्ट हो गई थी।