गोस्वामी तुलसीदास एक काव्ये कुशल साहित्यकार हैं।’रामचरितमानस’उनकी काव्य कला की श्रेष्ठता का प्रत्यक्ष प्रमाण है। रामचरितमानस से संकलित उपर्युक्त काव्यांश को कला पक्ष सभी दृष्टियों से उत्तम है। मनोहारी इस काव्यांश की भाषा साहित्यिक अवधी है। भाषा पर कवि का पूर्ण अधिकार सटीक शब्दावली के प्रयोग से प्रमाणित हो रहा है। पत्नी का ‘परमे नम्र उदार वाणी’ में पति को समझाना, उसी पत्नी का पति पर व्यंग्य करना ‘अब पति मृषा गाल जनि मारहु’ कुछ ऐसे ही उदाहरण हैं।
मुहावरों और लोकोक्तियों के प्रयोग से कथन को प्रभावशाली बनाया गया है। परिस्थिति और पात्र के अनुरूप भाषा तथा शैलियों का प्रयोग हुआ है। चौपाई तथा दोहा छंद का सफल प्रयोग हुआ है। कवि ने सहज भाव और प्रयासपूर्वक दोनों ही रीतियों से कथन को अलंकारों से सजाया है, अनुप्रास तो पग-पग पर उपस्थित है। रूपक तथा उपमा, पुनरुक्ति प्रकाश, अतिशयोक्ति, उदाहरण आदि अलंकार भी उपस्थित हैं। राम के विश्वरूप वर्णन में कवि के सप्रयास अलंकरण का सुन्दर नमूना है। इस प्रकार उपर्युक्त काव्यांश महाकवि तुलसीदास के कला पक्ष की सुगढ़ता को पूर्ण प्रतिनिधित्व कर रहा है।