कवि रहीम ने यह बात प्रेम संबंध के प्रसंग में कही है। उनके अनुसार प्रेम एक नाजुक धागा है। यदि अधिक तनाव डालोगे तो चटक कर टूट जाएगा। यह प्रेम का धागा एक बार टूटने पर फिर पूर्ववत नहीं जुड़ पाता। जोड़ो तो गाँठ लगाकर ही जुड़ेगा। मेरे मत से कवि रहीम का यह कथन बड़ा सच और मार्मिक है। एक तो, जो प्रेम सम्बन्ध चटकाकर तोड़ा गया है, उसकी चटक को भुला पाना आसान नहीं होता। यदि किसी प्रकार जुड़ भी गया, तो जो गाँठ लगाई गई है, वह मन में आजीवन गाँठ की तरह पड़ी रहती है और प्रेम में वह सहजता और सरसता नहीं रह जाती है।