Use app×
Join Bloom Tuition
One on One Online Tuition
JEE MAIN 2025 Foundation Course
NEET 2025 Foundation Course
CLASS 12 FOUNDATION COURSE
CLASS 10 FOUNDATION COURSE
CLASS 9 FOUNDATION COURSE
CLASS 8 FOUNDATION COURSE
0 votes
19.3k views
in सरयू - रहीम by (50.5k points)
closed by

पद्यांशों की सन्दर्भ एवं प्रसंग सहित व्याख्याएँ।

काज परै कछु और है, काज सरै कछ और।
रहिमन भंवरी के भए, नदी सिरावत मौर।।
खैर, खून, खाँसी, खुसी, बैर-प्रीति मद-पान।
रहिमन दाबे ना दबैं, जानत सकल जहान।।

1 Answer

+1 vote
by (49.6k points)
selected by
 
Best answer

कठिन शब्दार्थ – काज = काम। परै = पड़ने पर। कछु = कुछ। और = अन्य या भिन्न प्रकार का व्यवहार। सरै = सम्पन्न होना, पूरा होना, काम निकल जाना। भंवरी = हिन्दुओं के विवाहों में होने वाली एक रीति जिसमें वर और कन्या अग्नि के फेरे लेते हैं। सिरावत = प्रवाहित करना। मौर = विवाह के अवसर पर वर द्वारा सिर पर धारण किए जाने वाला मुकुट। खैर = कुशलता की भावना। खून = हत्या। वैर = शत्रुता। प्रीति = प्रेम। मद-पान = शराब आदि पीना, नशा करना। दावे = छिपाने पर। जानत = जानता है। जहान = संसार, दुनिया।।

सन्दर्भ एवं प्रसंग – उपर्युक्त पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक में संकलित कविवर रहीम के दोहे शीर्षक अंश से लिया गया है। प्रथम दोहे में कवि ने बताया है कि इस संसार में लोग अवसर देखकर अपने व्यवहार की नीति को बदल लिया करते हैं। द्वितीय दोहे में बताया गया है कि कुछ बातें ऐसी होती हैं कि वे प्रयत्न करने पर भी छिपाई नहीं जा सकतीं तथा दूसरों के सामने प्रकट हो जाती हैं।

व्याख्या – कवि रहीम कहते हैं कि यह संसार बड़ा मतलबी है। जब काम पड़ता है तो उसका व्यवहार कुछ भिन्न प्रकार का होता है तथा काम निकल जाने पर वह पूर्व के व्यवहार के विपरीत तरह का व्यवहार करता है। लोग अपना काम अटकने पर बड़ा मधुर और स्नेह-सम्मानपूर्ण व्यवहार करते हैं तथा काम निकलने पर मुँह फेर लेते हैं, पूछते तक नहीं। हिन्दुओं में विवाह के अवसर पर वर अपने सिर पर मौर बाँधकर कन्या के घर जाता है। वहाँ वर और कन्या अग्नि की परिक्रमा करते हैं अथवा फेरे लेते हैं। फेरे लेने से पहले जिस मौर को सम्मान के साथ सिर पर धारण किया जाता है, उसे फेरे लेने की क्रिया पूरी होने के पश्चात् नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है।

कवि रहीम कहते हैं कि खैरियत अर्थात् कुशलता का होना, किसी की हत्या करना, खाँसी की बीमारी होना, मन में किसी कारण प्रसन्नता होना, किसी के प्रति शत्रुता होना अथवा प्रेम होना तथा शराब पीना या नशा करना आदि बातें ऐसी हैं कि मनुष्य के द्वारा छिपाने का प्रयत्न करने पर भी छिपती नहीं हैं और स्वयं ही पूरे संसार को उनके बारे में पता चल जाता है। मनुष्य को उनके बारे में पता चल जाता है। मनुष्य प्रयास करके भी इनको छिपा नहीं पाता और वे पूरे संसार में प्रगट हो जाती हैं।

विशेष –

  1. ‘काज परै और काज सरै’-में लोगों के दोहरे आचरण के बारे में बताया गया है।
  2. लोग बड़े मतलबी होते हैं तथा अपने लाभ को देखकर ही व्यवहार करते हैं।
  3. दोहा छंद ब्रजभाषा तथा दृष्टान्त अलंकार है।
  4. ‘खैर-खुशी’ में अनुप्रास अलंकार है।
  5. कुशलता, हत्या, खाँसी, प्रसन्नता, शत्रुता, प्रेम तथा मद्यपान आदि बातें छिपाने पर भी प्रकट हो जाती हैं। कवि रहीम ने यहाँ अपने अनुभव से मानवीय स्वभाव का वर्णन किया है।

Welcome to Sarthaks eConnect: A unique platform where students can interact with teachers/experts/students to get solutions to their queries. Students (upto class 10+2) preparing for All Government Exams, CBSE Board Exam, ICSE Board Exam, State Board Exam, JEE (Mains+Advance) and NEET can ask questions from any subject and get quick answers by subject teachers/ experts/mentors/students.

Categories

...