The author prefers own book because he can treat it with affectionate intimacy. He can mark it up, can turn its pages and put it face down on the table etc.
लेखक स्वयं की पुस्तक को प्राथमिकता देता है क्योंकि वह उसके साथ एक स्नेहमय अन्तरंगता के साथ व्यवहार कर सकता है। वह इसमें निशान लगा सकता है, इसके पन्ने मोड़ सकता है, इसे मेज पर उल्टी रख सकता है, आदि।