शब्दार्थ – भू-लोक = धरती । पुण्य = पवित्र। लीलास्थल = क्रीड़ाभूमि। गिरि = पर्वत । उत्कर्ष = उत्थान।
सन्दर्भ तथा प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित “भारत की श्रेष्ठता’ शीर्षक कविता से लिया गया है। इसके रचयिता राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त हैं। गुप्त जी ने भारत के गौरवशाली अतीत का वर्णन करते हुए उसे संसार का सर्वश्रेष्ठ देश बताया है। भारत का प्राकृतिक सौन्दर्य अनुपम है।
व्याख्या – कवि पूछता है कि इस पृथ्वी का गौरव कौन-सा देश है? प्रकृति की पवित्र क्रीड़ा भूमि कौन-सी है। सुन्दर पर्वत हिमालय कहाँ स्थित है तथा गंगा कहाँ प्रवाहित होती है ? वह कौन-सा देश है। जो संसार के सभी देशों में सर्वाधिक उन्नत है ? ऋषि-मुनियों का पावन स्थल कौन-सा है ? कवि स्वयं उत्तर देता है कि उस देश को भारतवर्ष कहते हैं।
विशेष –
- इन पंक्तियों में भारत की महिमा का वर्णन है।।
- कवि का उद्देश्य भारतवासियों के मन में स्वदेश के प्रति प्रेम और सम्मान पैदा करना है।
- अनुप्रास अलंकार है।
- भाषा प्रवाहपूर्ण साहित्यिक खड़ी बोली है।
- ये पंक्तियाँ गुप्त जी की श्रेष्ठ काव्य-रचना ‘भारत भारती’ से ली गई हैं।