शब्दार्थ – वृद्ध = बूढ़ा, प्राचीन । सिरमौर = सर्वश्रेष्ठ, सर्वोच्च । पुरातन = पुराना। और = अन्य, दूसरा। भव-भूति = सांसारिक वैभव । भण्डार = संग्रह। विधि = ब्रह्मा । नर-सृष्टि = जीवों का जन्म।।
सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित कविता भारत की श्रेष्ठता से उद्धृत है। यह मैथिलीशरण गुप्त की प्रसिद्ध रचना ‘भारत-भारती’ का एक अंश है।
प्रसंग – कवि ने भारत के अतीत-गौरव का वर्णन किया है। भारत विश्व का सर्वश्रेष्ठ देश है। वह ऋषियों की भूमि है तथा प्रकृति का क्रीड़ास्थल है।
व्याख्या – कवि कहता है कि भारत विश्व का सर्वाधिक प्राचीन देश है। यह समस्त देशों में सर्वश्रेष्ठ है। भारत के समान प्राचीन देश संसार में कोई नहीं है। ईश्वर का जितना सांसारिक वैभव है, उस सबका संग्रहालय भारत ही है अर्थात् भारत में सृष्टि की सर्वोत्तम चीजें पाई जाती है। ब्रह्मा ने जीव-जन्तुओं की उत्पत्ति को कार्य सर्वप्रथम भारतवर्ष में किया था। तात्पर्य यह है कि सृष्टि का आरम्भ भारतवर्ष से ही हुआ था।
विशेष –
- भारत के अतीत गौरव का वर्णन है।
- प्रस्तुत पंक्तियाँ राष्ट्र-भावना से ओत-प्रोत हैं।
- भाष सरल, विषयानुकूल तथा प्रवाहपूर्ण है।
- अनुप्रास अलंकार वीर रस है।