राम रावण के साथ युद्धरत हैं। रावण छलपूर्वक राम की पत्नी सीता का हरण कर ले गया है। सीता की मुक्ति के लिए राम सेना का संगठन कर उससे युद्ध कर रहे हैं। रावण असुर है तो राम सुरावतार। रावण असत् का प्रतीक है तो राम सत् के द्योतक हैं। राम। का रावण के साथ युद्ध साधारण युद्ध नहीं है। इसमें अनेक सांस्कृतिक प्रतिमान निहित हैं। यह युद्ध असत् के विरुद्ध सत् के संघर्ष का सूचक है। सत् की शक्तियाँ भी कभी-कभी असत् के पक्ष में खड़ी दिखाई देती हैं किन्तु ऐसा सदा के लिए नहीं होता। शक्ति रावण के साथ है। किन्तु राम की पूजा से प्रसन्न होकर वह उनको विजय का आशीर्वाद देती है।
न्याय भी संघर्ष करने पर ही मिलता है। रावण अधर्म पथ पर है तथा राम धर्म पथ पर हैं। रावण परस्वत्वापहारक व दोषी है। राम धर्म की रक्षार्थ युद्ध कर रहे हैं। पहले रावण के साथ शक्ति को देखकर राम निराश हो जाते हैं किन्तु जाम्बवान के परामर्श पर वह शक्ति की पूजा करते हैं। उनको महाशक्ति से विजय का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जाम्बवान के परामर्श से राम के निराशापूर्ण हृदय से आशा की ज्योति जल उठती है। अन्त में उनके मन की निराशा पर आशा विजयी होती है। राम और रावण दोनों ही व्यक्ति न होकर कुछ प्रतिमानों के प्रतीक हैं।