“बालश्रम समाज पर एक अभिशाप है।” यह कथन इस सत्य को प्रतिपादित करता है कि ‘बालश्रम’ समाज पर एक कलंक है। यह एक अपराध है जिसमें कि बच्चों को जबरदस्ती काम करने पर लगा दिया जाता है और उनको आर्थिक जिम्मेदारी बड़ों की तरह उठाने को मजबूर किया जाता है। ‘इण्टरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन’ (ILO) के अनुसार पन्द्रह वर्ष की उम्र से कम के बच्चों को धन कमाने के कार्यों में लगाना एक अपराध है। इससे बच्चे अपनी शिक्षा, स्वास्थ्य, मानसिक और सामाजिक स्वतन्त्रता से वंचित रह जाते हैं। इस प्रकार बाल श्रम के चलते हुए उनका भविष्य बर्बाद हो रहा है। इस पर दुनिया के सभी देश गम्भीरता से विचार कर रहे हैं।
बालश्रम की समस्या विकासशील देशों में अधिक पायी जाती है। विकासशील देशों में गरीबी के कारण बच्चों को कम उम्र में ही मजदूरी, घरों में काम आदि करना पड़ता है। जिसके कारण वे अपनी शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक स्वतन्त्रता तथा अपने बचपन से वंचित रह जाते हैं। दुनिया के सभी विकासशील देश इस समस्या को . सुलझाने का भरसक प्रयत्न कर रहे हैं, लेकिन चोरी-छिपे यह रोजगार धड़ल्ले से चल रहा है। समाज का बड़ा तबका बाल श्रम का भरपूर फायदा ले रहा है। लाखों बच्चे बालश्रम की चपेट में आकर अपना जीवन चौपट कर रहे हैं। ये बच्चे ही भारत का भविष्य हैं जो बिगड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। भारतीय कानून के अन्तर्गत 15 साल से कम के बच्चों से काम लेना जुर्म है। ये जुर्म बच्चों के माता-पिता, कारखानों के मालिक, रेस्टोरेन्ट के मालिक और घर के मालिक, दुकानदार, दस्तकार, बुक बाइंडर आदि खुले रूप से कर रहे हैं। जिससे बच्चों का जीवन नष्ट हो रहा है और इसकी चिन्ता किसी को नहीं है।
बालश्रम बढ़ने के निम्न कारण हैं जो इस श्रम को कम नहीं होने देते-
1. गरीबी और बढ़ती हुई बेरोजगारी विकासशील देशों में बालश्रम को जन्म दे रही है।
2. विश्व संगठन की रिपोर्ट बताती है कि दुनिया के एकचौथाई लोग अत्यन्त गरीब हैं।
3. शिक्षा की कमी है जिसे अधिकतर बच्चे प्राप्त नहीं कर पाते।
4. विकासशील देश के लोग बालश्रम के कानून को तोड़कर बालश्रम को बढ़ावा दे रहे हैं।
5. समाज का पूर्ण नियन्त्रण खेती पर काम करने वाले बच्चों पर और घर में काम करने वाले बच्चों पर नहीं है।
6. बालश्रम करने वाले बच्चे अपने परिवार की दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए इसे महत्व देते हैं और इसके ऊपर वे कुछ और सोचते ही नहीं हैं।
7. व्यापारिक संगठन और गृह उद्योग छोटे बच्चों को नौकरी पर रख लेते हैं, ताकि कम कीमत में ज्यादा काम ले सकें। वे बच्चों को प्रोत्साहित करते हैं और छोटे बच्चे उसी को अपना भाग्य मानकर स्वीकार कर लेते हैं।
बाल श्रम की समस्या को सुलझाने के लिए उपाय-
1. समाज में फैली इस कुप्रथा को बन्द करने के लिए हमें नये सिरे से प्रयास करने होंगे।
2. बालश्रम को समाप्त करने के लिए समाज में ऐसी इकाइयाँ बनें जो बालकों के श्रम पर ध्यान देकर बालकों को उस काम के प्रति निरुत्साहित करें और उनके पढ़ने की निःशुल्क व्यवस्था करें।
3. बच्चों के माता-पिता को उनकी पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करें।
4. समाज में जागृति उत्पन्न की जाये जिसका परिणाम बाल श्रम से छुटकारा हो।
5. सरकार उन गरीब परिवारों की कुछ आर्थिक सहायता करे जिनके बच्चे गरीबी के कारण बालश्रम में लग जाते हैं।
6. सरकार बालश्रम समाप्ति के लिए कड़े कानून बनाये जिसमें माता-पिता और जहाँ बच्चे काम करते हैं उनको दण्ड देने का प्रावधान हो।
भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी जिन्होंने बाल श्रम को रोकने के लिए अपना पूर्ण सहयोग दिया तथा इसके लिए उन्हें विश्व का सर्वश्रेष्ठ सम्मान ‘नोबेल पुरस्कार’ मिला। ये मध्य प्रदेश में पैदा हुए और अपनी शिक्षक की नौकरी त्यागकर ‘बालश्रम’ की समाप्ति के कार्य में लग गये। 1980 में इन्होंने ‘बचपन बचाओ’ आन्दोलन चलाया। 144 देशों में इन्होंने लगभग 83,000 बच्चों को बालश्रम से उबारा और उनकी शिक्षा आदि का भी सरकारों के सहयोग से प्रबन्ध किया।
बालश्रम एक बड़ी सामाजिक समस्या है। इसको माता-पिता, अध्यापक, सामाजिक कार्यकर्ता और सरकार मिलकर सुलझा सकते हैं। बच्चों को शिक्षित बनाया जाये और उनकी कमाने वाली मानसिकता को सुधारा जाये।