समय का महत्त्व।
“का वर्षा जब कृषि सुखाने
समय चूकि पुनि का पछताने”
अर्थात् समय पर यदि चूक गये तो जीवन भर पछताना पड़ेगा ठीक उसी प्रकार जैसे खेती सूख जाये फिर वर्षा हुई तो उस वर्षा का कोई महत्त्व नहीं है। मनुष्य का जीवन अमूल्य है। उसके जीवन का एक-एक पल भी बहुत महत्त्वपूर्ण है। अतः समय का ध्यान मनुष्य को धन से भी अधिक रखना चाहिए। धन तो आता जाता रहता है, परन्तु समय जो बीत जाता है उसे लौटाया नहीं जा सकता है। मानव जीवन में बाल्यावस्था, किशोरावस्था, प्रौढ़ावस्था और अन्त में वृद्धावस्था एक बार ही आती है। हर अवस्था का अपना अलगअलग महत्त्व होता है। एक बार बीत जाने पर पुनः उसे नहीं प्राप्त किया जा सकता यदि मनुष्य समय पर असावधान हो गया तो पछताने के अतिरिक्त उसके पास कुछ नहीं रहता। समय की गति बड़ी तीव्र होती है। अतः आवश्यकता इस बात की है कि हम समय का सदपयोग करें। उसे पकड कर रखें।
हमें समय के महत्त्व का ज्ञान तब होता है जब स्टेशन पर दो मिनट की देरी के कारण हमारी गाड़ी छूट जाती है। हमें समय का महत्त्व तब समझ में आता है जब डॉक्टर के विलम्ब से पहुँचने पर हमारा कोई अपना मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। हम समय के मूल्य को तब समझ पाते हैं जब अध्ययन किये बिना समय गँवा देते हैं और परीक्षा में असफल हो जाते हैं। इन परिस्थितियों में हमारे पास पछताने के अतिरिक्त कुछ भी नहीं रह जाता। समय को खोकर कोई मनुष्य सुखी नहीं रहता। जूलियस सीज़र सभा में पाँच मिनट देर से पहुँचा और अपने प्राणों से हाथ धो बैठा। अपनी सेना में कुछ मिनट देर से पहुँचने के कारण ही नेपोलियन को नेल्सन से पराजित होना पड़ा था। समय किसी की राह नहीं देखता।
इस समस्या का एक ही समाधान है- हमें अपने कार्य निश्चित समय में पूरे करने चाहिए। काम में देरी हमारी समय के प्रति लापरवाही को दर्शाती है। निश्चित समय पर कार्य पूरा करने पर हमें आत्मसन्तोष तथा प्रसन्नता प्राप्त होती है। हम अपना कार्य पूर्ण करने के पश्चात् दूसरों की सहायता कर सकते हैं। इसके माध्यम से हम समाज का कल्याण कर सकते हैं। यदि हृदय में कोई कार्य करने की इच्छा उत्पन्न होती है तो उसके लिए प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए। उसे तुरन्त कर डालना चाहिए। इसी सन्दर्भ में महान संत कबीरदास कहते है-
“काल्ह करै सो आज कर, आज करै सो अब।
पल में परलै होइगी, बहुरि करैगो कब ॥”
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने भी समय के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा है “मेरे विचार से एक वस्तु का महत्त्व सर्वाधिक है-वह है समय की परख। यदि आपने समय के सदुपयोग की कला सीख ली है तो पुनः आपको किसी प्रसन्नता या सफलता की खोज में मारे-मारे भटकने की आवश्यकता नहीं। वह स्वयं आपका द्वार खटखटायेगी।” वास्तव में समय का सदुपयोग ही जीवन में सफलता की कुंजी है।
आज तक संसार में जितने महापुरुष हुए सबने समय के महत्त्व को समझा और उन्होंने समय के एक-एक क्षण का सदुपयोग किया। शंकराचार्य का उदाहरण हमारे सामने है। उन्होंने अल्प समय में ही सम्पूर्ण वेद-वेदान्त का ज्ञान प्राप्त कर लिया। ऐसे उच्चकोटि के ग्रंथ लिखे जिन्हें समझने के लिए लोगों को जीवन भर साधना करनी पड़ती है।
यूरोप और पश्चिम के अन्य राष्ट्रों की उन्नति का रहस्य ही यह है कि वहाँ समय को व्यर्थ नहीं गँवाते। विद्यार्थियों के लिए समय अमूल्य निधि है। उनका प्रत्येक कार्य निश्चित समय पर होना चाहिए। बुद्धिमान विद्यार्थी कभी भी अपने समय को व्यर्थ नहीं गँवाते इसलिए उन्हें कभी पछताना नहीं पड़ता।
प्रत्येक व्यक्ति को समय के महत्त्व को समझ कर सदैव निश्चित समय पर कार्य करना चाहिए ताकि जीवन में पछताना न पड़े।