कवि कह रहे है मानवता की रक्षा करना तुम्हारा पहला कर्तव्य है, खुद की रक्षा से भी बढकर है। किसी के मिट जाने से भी मानवता बच जाए, उसकी रक्षा हो जाए। तभी सत्य की जीत होती। अपन निजी स्वार्थ के लिए हम मनुष्यता का नाश न करे, उसे नुकसान न पहुँचाए। मनुष्य-जाति के लिए, जन-जाति के भालाई के लिए भले ही तू अपने आपको मिटा दे। अच्छाई के लिए आत्मसमर्पण कर दे लेकिन दृष्टों के सामने सिर न झुका, उनकी जीत न होने पाए।