रश्मिरथी रामधारीसिंह दिनकर जी का खंड काव्य हैं.
इसमें महाभारत का अनुपम दानी कर्ण का चित्रण मिलता है I
रश्मिरथी का अर्थ होता है ,सूर्य की किरणों का रथ I सूर्य के बेटे ,कुंती पुत्र महारथी कर्ण का यशोगान करना ही काव्य का उद्देश्य है I महाभारत में यशस्वी दानी पात्र कर्ण हैंI
कर्ण की कथा की पृष्टभूमि में वह अपनी माँ से ठुकरा हुआ पात्र हैI कर्ण की माँ कुमारी थीIतब कर्ण का जन्म हुआI लोक मर्यादा की रक्षा के लिए कुंती ने अपने नवजात शिशु को एक मंजूषा में बंद करके नदी में बहा दियाI वह मंजूषा अधिरथ नाम के सूत को मिलीI
अधिरथ संतान भाग्य से वंचित थाI मंजूषा में कर्ण-कुंडल से युक्त तेजोमय शिशु को देखकर अत्यंत प्रसन्न हो गया Iअधिरथ और उनकी पत्नी राधा दोनों अति प्यार से बच्चे को लालन-पालन करने लगेI.
बच्चे का नाम कर्ण पड़ाIराधा के पालित होने से कर्ण का दूसरा नाम पड़ा राधेयI
कथा अति प्राचीन काल की हैI हस्तिनापुर का प्रतापी राजा ययाति थाI उनके बाद उनका छोटा पुत्र पुरु राजा बनाI पुरु वंश में भरत हुए I आगे इसी वंश में कुरु पैदा हुए I उनके नाम से उनके वंशज कौरव कह्लाये गए I द्वापर युग के अंत में महात्मा शांतनु का जन्म हुआI शांतनु और गंगा की शादी हुई I शांतनु का पुत्र था देवव्रतI शांतनु ने निषाद कन्या सत्यव्रत से शादी की I सत्यव्रत के पिता के शर्त के अनुसार देवव्रत ने आजीवन ब्रह्मचारी रहने की प्रतिज्ञा की I इसलिए देवव्रत का नाम भीष्म पड़ा I शांतनु और सत्यव्रत के दो पुत्र हुएI उनके नाम थे चित्रांगद और विचित्र वीर्यI चित्रांगद को गन्धर्व ने युद्ध में मार डाला I
युद्ध क्षेत्र में वीर गति मिली I भीष्म ने जबरदस्त अम्बिका और अम्बालिका को ले आयेI उन दोनों की शादी विचित्र वीर्य से हुई I पर क्षय रोग से पीडित विचित्र वीर्य मर गया Iसत्यवती वंश वृद्धि की चिंता में थी Iभीष्म की सलाह से वेदव्यास को सत्यवती ने बुलाया और अनुरोध किया कि अम्बिका और अम्बालिका को पुत्र दें I वेदव्यास अम्बिका से मिलने गए तो उनके भयानक रूप देखकर डर गयी और आँखें बंद कर लीI इसी कारण से अम्बिका का पुत्र अँधा हुआ I उनका नाम पड़ा ध्रुतराष्ट्र I
उसके बाद छोटी बहु अम्बालिका गयी ,डर के कारण उसका मुख पीला पड़ गयाI उसके पुत्र का नाम पीलापन पड़ने से पांडू पड़ा I गंधार देश के राजा सुबल गांधारी से ध्रुतराष्ट्र की शादी हुई I पांडू राजा की दो शादियाँ हुईंI पहली पत्नी शूरसेन की पुत्री पृथा या कुंती थी और दूसरी थी
मद्रदेश की राज कन्या माद्री के साथ I
कुंती को विवाह के पहले ही कर्ण का जन्म हुआ I कुंती ने लोक लज्जा से बचने शिशु को एक मंजूषा में बंद करके नदी में बहा दिया I वही रश्मिरथी का नायक कर्ण है I
पांडू ऋषी के शाप के कारण स्त्री से शारीरिक सम्बन्ध नहीं रख सकते I पांडू ने कुंती से संतानोत्पत्ति के लिए आग्रह किया I कुंती को शादी के पहले ही एक मन्त्र मालूम था,जिसके बल अविवाहिता को कर्ण का जन्म हुआ I अब उसी मन्त्र से धर्मराज को बुलाया और युधिष्ठिर का जन्म हुआI पवन देव से भीम और इंद्र से अर्जुन का जन्म हुआ I माद्री के गर्भ से अश्विनी कुमारों की दया से दो पुत्र हुए -नकुल और सहदेव I पांडू के निधन होते ही कुंती ने पाँचों पुत्रों का पालन पोषण कियाI
ध्रुतराष्ट्र के सौ पुत्र हुए. बचपन से ही पांडू पुत्र और् ध्रुतराष्ट्र के पुत्रों में द्वेष भाव और दुश्मनी थी I
ध्रुतराष्ट्र का बड़ा पुत्र दुर्योधन था I युधिष्ठिर ने आधा राज्य माँगा तो
दुर्योधन ने नहीं कह दिया I कृष्ण दूत बनकर गया तो दुर्योधन ने कहा --हे कृष्ण !सुई के नूक बराबर की भूमि भी पांडवों के लिए नहीं दूँगा I अब पांडव युद्ध करने विवश हो गए I
रश्मिरथी का उद्देश्य कर्ण की कीर्ति पर चार चाँद लगाना हैI इसमें दिनकर जी को पूरी सफलता मिली है I