मन के हारे हार, मन के जीते जीत
यह लोकक्ति मन के शक्ति को बतलाती है जिसके सामने दुनिया की तमाम शक्तियाँ छोटी हैं। जिसका मन शत्रु की ताकत को देखने से हार जाता है तो वह ताकतवर होने के बावजूद पराजित हो जाता है वहीं अगर कमजोर व्यक्ति भी मन से मजबूत हो तो वह आसानी से कोई भी दुसाध्य कार्य कर लेता है। यह महज कहने योग्य ही बातें नहीं हैं बल्कि इतिहास की कई घटनाएँ इसके उदहारण हैं। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जब हिटलर की सेना ने रूस के प्रमुख नगरों पर रात को आक्रमण किया तब वहाँ की जनता ने घरों के सामान को ही अपना शस्त्र बनाकर दुश्मनों से जमकर लोहा लिया और परास्त किया। अगर रूस की जनता शक्तिशाली हथियारों को देखकर पहले ही हार मान लेती तो यह जीत उसे नहीं मिलती। मनोबल का मजबूत होना कोई भी काम करने लिए आवश्यक है। इसके द्वारा व्यक्ति बड़े से बड़े विपत्तियों पर भी विजय पा सकता है। इसलिए हरेक व्यक्ति को चाहिए की समस्या कितनी भी विकट क्यों ना हो, अगर मनोबल बना रहे तो समस्या से जरूर निकला जा सकता है।