कहानी के आधार पर हरिहर काका की जमीन पारिवारिक जमीन है। निःसंतान होने के कारण इनकी जमीन पर महंत, नेता तथा भाइयों की बुरी दृष्टि है। वैसे उनकी जमीन कानूनन उनके भाई एवं भतीजे के अधिकार में जाने की संभावना है क्योंकि हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार निःसंतान व्यक्ति की बिना वसीयत की गयी सम्पत्ति पर परिवार के अन्य सदस्य भाई एवं भतीजे का होता है। आरम्भ में महंत ने हरिहर काका से जमीन के कागजातों पर जबरन अँगूठे के निशान ले लिए थे परन्तु हरिहर काका ने महंत पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कर दिया था। उस स्थिति में हरिहर काका के न रहने पर जमीन पर भाई एवं भतीजे के अधिकार की संभावना है।