मनुष्य में प्रत्येक कोशिका `23` में जोड़े गुणसूत्र पाये जाते है। इनमे से `22` जोड़े एकसमान होते है जिन्हे ऑटोसोम्स कहते है, `23` वा जोड़ा अन्यो से भिन होता है इस लिंग गुणसूत्र कहते है। नर के `23` वे जोड़े के गुणसूत्रों को इन्हे `XY` से व्यक्त करते है। तथा मादा में यह `"XX"` होता है।
निषेचन के समय जब किसी अण्डाणु से `(X)` गुणसूत्र वाला शुक्राणु मिलता है तब पैदा होने वाली संतान में `""XX""` लिंग गुणसूत्र होते है, अर्थात यह संतान मादा होती है। लेकिन जब किसी अण्डाणु से `"y"` गुणसूत्र वाला शुक्राणु मिलता है तब पैदा होने वाली संतान में `"XY"` लिंग गुणसूत्र होते है अर्थात यह संतान नर होती है। इस प्रकार मानुषो में लिंग के निर्धारण में नर के `Y` गुणसूत्र का बहुत अधिक महत्व होता है, दूसरे शब्दों में यही गुणसूत्र मनुष्य की संतान की लिंग को निर्धारित करता है।
