(a) बाह्य कंकाल शल्कों का नहीं होता, स्तन एवं रोम पाये जाते हैं, श्वसन फेफड़ों द्वारा, जरायुजी तथा वास्तविक परखनों की अनुपस्थिति, (b) शरीर पर रोयों का पाया जाना, चुचुक विहीन स्तन-ग्रंथियां, आंशिक रूप में समतापी तथा ह्रदय का चार वेश्मों में विभाजित होना,