(i) दी गई अभिक्रिया में सभी परमाणुओं की ऑक्सीकरण संख्या लिखने पर,
उपरोक्त से स्पष्ट है कि Al की ऑक्सीकरण संख्या में 0 से +3 की वृद्धि होती है । अतएव Al उपरोक्त अभिक्रिया में ऑक्सीकृत हो रहा है और एक अपचायक की भाँति कार्य कर रहा है । `MnO_(2)` में Mn की ऑक्सीकरण संख्या +4 से घटकर 0 हो रही है । अतएव `MnO_(2)` अपचयित हो रहा है तथा एक ऑक्सीकारक की ऑक्सीकरण संख्या लिखने पर,
(ii) दी गई अभिक्रिया में सभी परमाणुओं की ऑक्सीकरण संख्या लिखने पर,
उपरोक्त से स्पष्ट है कि `Fe^(2+)` आयन की ऑक्सीकरण संख्या +2 से बढ़कर +3 हो रही है । अतएव `Fe^(2+)` आयन ऑक्सीकृत होता है एवं एक अपचायक की भाति कार्य करता है । `Cr_(2)O_(7)^(2-)` आयन में Cr की ऑक्सीकरण संख्या +6 से घटकर +3 हो रही है । अतएव `Cr_(2)O_(7)^(2-)` आयन अपचयित होता है और एक ऑक्सीकारक की भाँति व्यवहार करता है