चूंकि निकाय (नाभिक) पर बाह्य बल शून्य है अतः निकाय का रेखीय संवेग संरक्षित रहता है।
नाभिक का प्रारम्भिक संवेग `=Mu=0` (चूंकि `u=0`)
यदि विघटित नाभिक के दोनों भागों के संवेग क्रमशः `vec(p_(1))` व `vec(p_(2))` हो तो संवेग संरक्षण के नियम से `vec(p_(1))+vec(p_(2))=0`
यदि `m_(1)` व `m_(2)` उत्पादों के द्रव्यमान हों तथा `vec(v_(1))` व `vec(v_(2))` क्रमश: वेग हो तो `vec(p_(2))=m_(1)vec(v_(1)).vecp_(2)=m_(2)vecv_(2)`
`:.m_(1)vec(v_(1))+m_(2)vec(v_(2))=0`
या `vec(v_(2))=-(m_(2))/(m_(1))vec(v_(1))`
स्पष्टतः `vec(v_(1))` व `vec(v_(2))` विरपरीत दिशाओं में हैं, अतः दोनों उत्पाद विपरीत दिशाओं में गति करते हैं।