(a) लौह चुम्बकीय पदार्थ के चुम्बकन वक्र की अनुत्क्रमणीयता डोमेनों के आधार पर व्याख्या करने के लिये शैथिल्य वक्र (हिस्टेरिसिस वक्र) बनाते है जिससे स्पष्ट है की बाह्य क्षेत्र के हटाये जाने पर भी पदार्थ में चुम्बकत्व शेष रह जाता है, जो लौह चुम्बकीय पदार्थ की अनुत्क्रमणीयता दर्शाता है।
(b) हम जानते है की शैथिल्य वक्र के प्रत्येक चक्र में व्यय ऊर्जा वक्र के क्षेत्रफल के अनुक्रमानुपाती होती है अतः कार्बन स्टील का शैथिल्य वक्र का क्षेत्रफल अधिक होता है अर्थात कार्बन स्टील का टुकड़ा अत्यधिक ऊर्जा व्यय करेगा।
(c) लौह चुम्बकीय पदार्थ का चुम्बकन केवल चुम्बकन क्षेत्र पर ही निर्भर नहीं करता है। अर्थात लौह चुम्बक जैसा शैथिल्य वक्र प्रदर्शित करने वाली कोई स्मृति संग्रहण की युक्ति है।
(d) आजकल कैसेट के चुम्बकीय फीतों पर पर्त चढ़ाने के लिए अर्थात स्मृति संग्रहण के लिए लौह चुम्बकीय पदार्थों का प्रयोग किया जाता है, जो निम्नलिखित हैं-
`MnFe_(2)O_(4), FeFe_(2)O_(4), COFe_(2)O_(4), NiFe_(2)O_(4)`, etc.
(e) किसी स्थान को चुम्बकीय क्षेत्र से मुक्त करने के लिए उस स्थान को नर्म लोह के वलय से ढक देते हैं क्योंकि नर्म लोह की चुंबकशीलता बहुत अधिक होने के कारण चुम्बकीय बल रेखाएँ वलय में प्रवेश कर जाती हैं, जिससे सम्पूर्ण क्षेत्र चुम्बकीय क्षेत्र से मुक्त हो जाता है।