किसी यौगिक में केन्द्रीय परमाणु की जितनी उच्च धनामत्क ऑक्सीकरण अवस्था होती है, उतनी ही अधिक उसकी ध्रुवण क्षमता होती है, जिसके कारण केन्द्रीय परमाणु और दूसरे परमाणु के बीच बने आबंध में सहंसंयोजक लक्षण बढ़ते जाते है।
चूँकि पेन्टाहैलाइडों में केन्द्रीय परमाणु की ऑक्सीकरण अवस्था `(+5)` ट्राइहैलाइडों में केन्द्रीय परमाणु की ऑक्सीकरण अवस्था `(+3)` से अधिक है। अतः ट्राइहैलाइडों में पेन्टाहैलाइडों अधिक संहंसयोजी होते है।