यहाँ `Sigma _(1 ) ` सतह पर चार बिंदु P , Q , R , T दिखाए गए है। `PQ = QR = RT = (vt _(0 ))/(3 )` लिया गया है।
मान लें के t = 0 पर तरंगाग्र `Sigma _(1 )` के बाएँ किनारे, अर्थात P बिंदु पर पहुँचता है। इसी समय यहाँ से एक गोलाकार द्वितीयक तरंगिका ( secondary wavelet ) चलना प्रारम्भ करेगी । `t = t _(0 )` पर इस तरंगिका (wavelet ) की त्रिज्या `vt _(0 )` हो जाएगी । चित्र में यह तरंगिका `W _(1 )` है जिसकी त्रिज्या PT के बराबर है।
मूल तरंगाग्र AB बिंदु Q पर `t = (t _(0 ))/(3 )` समय पर पहुँचेगा। इस समय पर यह बिंदु द्वितीयक तरंगिका उत्पन्न करना प्रारम्भ करेगा। `t = t _(0 )` पर इस तरंगिका को उत्पन्न हुए `(2t _(0 ))/(3 )` समय बीत चुका होगा तथा इसकी त्रिज्या `(2vt _(0 ))/(3 ) ` हो जाएगी। यह तरंगिका चित्र में `W _(2 )` से दिखाई गई है। इसकी त्रिज्या QT के बराबर है।
तरंगाग्र AB बिंदु R पर `t _(0 )=(2t _(0 ))/(3 )` पर पहुँचेगा। इस समय यह द्वितीयक तरंगिका उत्पन्न करना प्रारम्भ करेगा। `t = t _(0 )` पर इस तरंगिका को उत्पन्न हुए `(t _(0 ))/(3 )` हो चुकी होगी। चित्र में यह तरंगिका `W _(3 )` से दिखाई गई है तथा इसकी त्रिज्या RT के बराबर है इसी प्रकार आप `Sigma _(1 )` के किसी भी बिंदु से उत्पन्न तरंगिका को `t = t _(0 )` समय पर खींचे तो वह T बिंदु से गुजरेगी। इन सभी गोलाकार सतहों पर आगे की दिशा में एक स्पर्श सतह खींचेगे तो वह CD होगी। यही CD सतह `t = t _(0 )` पर AB तरंगाग्र का नया स्थान है।