अलरिच तथा उनके सहयोगियों (Ulrich etal. 1977) ने चूहे में इंसुलिन बनाने वाले जिन को निष्कर्षित कर ई० कोलै जीवाणु में स्थानांतरित करने में सफलता पायी। इन लोगो ने चूहे से विशुद्ध m-RNA को निकला तथा उससे रिवर्स ट्रांस्क्रिप्टेज इन्जाइम की सक्रियता से DNA का संश्लेषण किया। इस इंसुलिन संश्लेषण से संबंधित DNA को प्लाज्मिड DNA के साथ एंडो-न्युक्लिएज तथा लैगेज के साथ जोड़कर पुनर्योगज DNA का निर्माण किया। इस पुनर्योगज DNA को ई० कोलाई के `xx 1776` विभेद के `E xx 2` होस्ट (पोषक) में स्थानांतरित कर चूहे के इंसुलिन DNA को क्लोन किया। नए वातावरण में इस जीन के ट्रांसलेशन (अनुलिपीकरण या अनुवाद) से जैविक रूप से सक्रिय इंसुलिन का उत्पादन होता है।