Correct Answer - Option 3 : उत्साह
दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 3 ‘उत्साह’ है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर होंगे।
- वीर रस का स्थायी भाव उत्साह है। विभाव, अनुभाव तथा संचारी भाव के माध्यम से परिष्कृत होकर जब वह आस्वाद रूप में प्रकट होता है वहां वीर रस की प्रतीति होती है।
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वीर रस- जिस प्रसंग अथवा काव्य में वीरता युक्त भाव प्रकट हो, जिसके माध्यम से उत्साह का प्रदर्शन किया गया हो, वहां वीर रस होता है।
- उदाहरण:
फहरी ध्वजा, फड़की भुजा, बलिदान की ज्वाला उठी।
निज जन्मभू के मान में, चढ़ मुण्ड की माला उठी।।
रस- रस का शाब्दिक अर्थ होता है- आनन्द। किसी काव्य को पढ़ने या सुनने के बाद हमें जो आनंद प्राप्त होता है। वही रस कहलाता है। “रस्यते इति रसः” के अनुसार रस का अर्थ स्वाद से है।
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