Correct Answer - Option 1 : ज्ञानमार्गी निर्गुण भक्तिधारा
'कबीर' का संबंध ज्ञानमार्गी निर्गुण भक्तिधारा से है, अन्य विकल्प असंगत है। अत: विकल्प1 ज्ञानमार्गी निर्गुण भक्तिधारा सही उत्तर होगा।
स्पष्टीकरण:
इस शाखा के भक्त-कवि निर्गुणवादी थे और राम की उपासना करते थे। वे गुरु को बहुत सम्मान देते थे तथा जाति-पाँति के भेदों को अस्वीकार करते थे। वैयक्तिक साधना पर वे बल देते थे। मिथ्या आडंबरों और रूढियों का वे विरोध करते थे। लगभग सब संत अपढ़ थे परंतु अनुभव की दृष्टि से समृध्द थे। प्रायः सब सत्संगी थे और उनकी भाषा में कई बोलियों का मिश्रण पाया जाता है इसलिए इस भाषा को 'सधुक्कड़ी' कहा गया है। साधारण जनता पर इन संतों की वाणी का ज़बरदस्त प्रभाव पड़ा है। इन संतों में प्रमुख कबीरदास थे।
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अन्य मुख्य संत-कवियों के नाम हैं नानक, रैदास, दादूदयाल, सुंदरदास तथा मलूकदास।
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अन्य विकल्प :
राम भक्तिधारा
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राम भक्तिधारा के अंतर्गत मर्यादावादिता, आदर्शवादिता, समन्वय. की भावना तथा सांस्कृतिक उत्थान का स्वर प्रमुख रहा।
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प्रेममार्गी सूफी काव्यधारा
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सूफी शब्द-'सूफ' से बना है जिसका अर्थ है 'पवित्र'। सूफी लोग सफेद ऊन के बने चोगे पहनते थे। इस काव्य धारा को प्रेममार्गी/प्रेमाश्रयी/प्रेमाख्यानक/ रोमांसीक कथा काव्य आदि नामों से भी जाना जाता है।
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कृष्ण भक्तिधारा
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श्री कृष्ण भक्ति धारा के कवियों का वर्ण्य विषय कृष्ण विषय की लीलाओं का वर्णन रहा है .कुछ कवियों ने इनकी बाल्यावस्था को चुना है और कुछ ने यौवन को।
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