Correct Answer - Option 3 : वीभत्स रस
उपर्युक्त पंक्ति ‘सिर पर बैठयों काग, आँख ओउ खात निकारत , खींचत जीभहिं स्यार, अति आनन्द उर धारत। ‘ इन पंक्तियों में वीभत्स रस है। अन्य विकल्प असंगत है। अतः सही विकल्प वीभत्स रस है।
विवरण
वीभत्स रस: जहाँ किसी वस्तु अथवा दृश्य के प्रति जुगुप्सा का भाव परिपुष्ट हो, वहाँ वीभत्स रस होता है। ‘सिर पर बैठयों काग, आँख ओउ खात निकारत , खींचत जीभहिं स्यार, अति आनन्द उर धारत।‘ इन पंक्तियों में से शव को बांचते को और गिद्ध के घृणित विषय की प्रस्तुति के कारण यहाँ वीभत्स रस है।
अन्य विकल्प
रस
|
परिभाषा
|
करुण
|
इसका स्थायी भाव शोक होता है इस रस में
किसी अपने का विनाश या अपने का वियोग,
द्रव्यनाश एवं प्रेमी से सदैव विछुड़ जाने या दूर
चले जाने से जो दुःख या वेदना उत्पन्न होती है
उसे करुण रस कहते हैं। जैसे-
”राम राम कहि राम कहि राम राम कहि राम।
तनु परिहरि रघुबर बिरह राउ गयऊ सुरधाय।।“
|
रौद्र
|
जहाँ क्रोध और प्रतिशोध का भाव विविध अनुभवों,
विभावों और संचारियों के योग से परिपुष्ट होता है,
वहाँ रौद्र रस की अभिव्यक्ति होती है।इसका स्थायी
भाव क्रोध है। जैसे - ” रे नृप बालक काल बस बोलत
तोहि न संभार धनुही सम त्रिपुरारी द्यूत बिदित
सकल संसारा।।“
|
भयानक
|
जब किसी भयानक या अनिष्टकारी व्यक्ति या वस्तु
को देखने या उससे संबंधित वर्णन करने या किसी
अनिष्टकारी घटनाका स्मरण करने से मन में जो व्याकुलता
उत्पन्न होता है, उसे भय कहते और उससे उत्पन्न होने वाली रस
को भयानकरस है। इसका स्थायी भाव भय है। जैसे - ” एक और अजगरहि लखि, एक ओर मृगराय।विकल बटोही बीच ही परयो मूर्छा खाए।“
|