अर्द्ध तरंग दिष्टकारी की कार्यविधि (working of Half Wave Rectifier)
प्रत्यावर्ती सिग्नल अर्थात sine तरंग के धनात्मक भाग के लिए (अर्द्ध तरंग) , परिपथ में लगा डायोड अग्र अभिनति में होता है और यह sin तरंग के अर्द्ध धन भाग को जाने देता है लेकिन sin तरंग के ऋण अर्द्ध भाग के लिए परिपथ में लगा डायोड पश्च अभिनति में होता है और यह इसे जाने नहीं देता है।
अर्थात प्रत्यावर्ती धारा के अर्द्ध चक्र के लिए डायोड अग्र अभिनती में होता है जिससे यह प्रत्यावर्ती धारा के अर्द्ध चक्र की धारा को जाने देता है।
लेकिन दुसरे अर्द्ध चक्र के लिए डायोड पश्च अभिनति में होता है जिससे डायोड प्रत्यावर्ती के अर्द्ध चक्र की धारा को जाने नहीं देता है।
जिससे आउटपुट में केवल हमें निवेशित प्रत्यावर्ती धारा की आधी धारा ही प्राप्त होती है अर्थात इस दिष्टकारी में केवल आधी प्रत्यावर्ती धारा ही दिष्टधारा में परिवर्तित हो पाती है जैसा चित्र में दिखाया गया है।