पीयूष ग्रन्थि (Pituitary gland) एक नलिकाविहीन (अन्तःस्रावी) ग्रन्थि है। यह अग्र मस्तिष्क के हाइपोथैलेमस की दीवार के पास, स्फेनॉइड हड्डी के गर्त में पाई जाती है। यह अन्य अन्त:स्रावी ग्रन्थियों के स्रावण को नियन्त्रित करती है। अत: इसे मास्टर ग्रन्थि भी कहा जाता है। ग्रन्थि के दो मुख्य भाग होते हैं- अग्न पिण्ड तथा पश्च पिण्ड। दोनों के मध्य एक संकरा मध्य पिण्ड होता हैं।

पीयूष ग्रन्थि के विभिन्न भागों से स्रावित हॉर्मोन्स के कार्य
ग्रन्थि के विभिन्न भागों से स्रावित हॉर्मोन्स के कार्य इस प्रकार हैं।
⦁ वृद्धि हॉर्मोन्स, शरीर की उचित वृद्धि के लिए आवश्यक है। बाल्यकाल में इसके अल्पस्रावण से बौनेपन (Dwarfism) एवं अतिस्रावण से भीमकायता (Giantism) की समस्या उत्पन्न होती है। वृद्धिकाल के बाद अति स्रावण से शरीर बेडौल, भीमकाय एवं कुरूप हो जाता है। इस अवस्था को एक्रोमीगैली कहते हैं। थायरॉइड प्रेरक हॉमन्स, थायरॉइड ग्रन्थि की क्रियाशीलता को बनाए रखता है।
⦁ ACTII (एड्रीनल कॉर्टेक्स ट्रॉपिक हॉर्मोन) हॉर्मोन्स, एड्रीनल ग्रन्थि के कॉर्टेक्स भाग को क्रियाशील बनाता है।
⦁ इस ग्रन्थि से स्रावित हॉमन्स पुरुषों में शुक्राणुओं एवं स्त्रियों में अण्डजनन को प्रेरित करता है। ल्यूटिन प्रेरक हॉमन्स, स्त्री एवं पुरुष में लैंगिक हॉर्मोन्स के स्रावण को प्रेरित करता है।
⦁ प्रोलैक्टिन या मैमोट्रॉपिक हॉर्मोन, गर्भकाल में स्तनों की वृद्धि तथा दुग्ध स्रावण को प्रेरित करता है।
वैसोप्रेसिन, वृक्क की वाहिनियों एवं कोशिकाओं में जल के अवशोषण को नियन्त्रित करता है एवं मूत्र की मात्रा को कम करता है, इसी कारण इसे मूत्र रोधी कहते हैं। ऑक्सीटोसिन, प्रसव के समय गर्भाशय को फैलने तथा प्रसव के पश्चात् गर्भाशय के सिकुड़ने को प्रेरित करता है। यह दुग्ध स्रावण को प्रेरित करता हैं।