भारत एक उप-महाद्वीप तथा विशाल भौगोलिक-राजनीतिक इकाई है जो विभिन्न क्षेत्रों में विभाजित है। प्रत्येक क्षेत्र की भौगोलिक सीमाओं, धर्म, संस्कृति एवं भाषा, रहन-सहन तथा सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक स्वार्थों ने उस क्षेत्र-विशेष के निवासियों के मन में अपने क्षेत्र की सुख-समृद्धि एवं प्रगति तथा अन्य क्षेत्रों के प्रति अलगाव की भावना को जन्म दिया। परिणामतः एक क्षेत्र के लोग अपने क्षेत्र वालों के प्रति प्रेम तथा दूसरे क्षेत्र वालों के प्रति विद्वेष, घृणा और विरोध की भावना रखने लगे।
किसी क्षेत्र-विशेष के लिए पक्षपात, अन्धभक्ति, निहित स्वार्थ, संकुचित मानसिकता तथा अन्य क्षेत्रों के प्रति उपेक्षा क्षेत्रवाद’ (Regionalism) को जन्म देते हैं। एक क्षेत्र के लोग अपनी माँगों के समर्थन.तथा अन्य के विरोध में आन्दोलन इत्यादि करते हैं, जिनकी परिणति हिंसात्मक दंगों में होती है।
इससे एक-दूसरे के प्रति घृणा बढ़ती है और लोगों में क्षेत्रीय तनाव उत्पन्न होने लगता है। क्षेत्रीयता के आधार पर बढ़ती हुई घृणा और पूर्वाग्रह; क्षेत्रीय समूह-तनाव को स्थायी बना देते हैं। हमारे देश में क्षेत्रीय आर्धार पर मुम्बई राज्य को गुजरात एवं महाराष्ट्र में और पंजाब को पंजाब एवं हरियाणा में विभाजित किया मैया है। समय-समय पर कुछ अन्य क्षेत्र भी अलग राज्य की मांग करते रहते हैं; इससे क्षेत्रीय समूह-तुनाव बढ़ रहा है और राष्ट्र की एकता को आघात पहुँचा रहा है।