इलेक्ट्रॉन के विशिष्ट आवेश ( specific charge ) , अर्थात् अनुपात , आवेश/द्रव्यमान `((e)/(m))` के निर्धारण के लिए सर जे0 जे0 थॉमसन व्दारा किए गए प्रयोग की व्यवस्था का आधुनिक प्रतिरुप चित्र में प्रदर्शित हैं । तप्त फिलामेंट F व्दारा उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों को विभवांतर V के अधीन त्वरित किया जाता हैं । सरल रेखा में गतिशील इलेक्ट्रॉनपुंज पर्दे C में बने संकीर्ण छिद्र से होकर बाहर निकलने के बाद एक ऐसे क्षेत्र से होकर गुजरता हैं जहाँ इलेक्ट्रॉन की संचरण दिशा के लंबवत परस्पर लंबवत दिशाओं में चुंबकीय क्षेत्र `vec(B)` तथा विद्युत क्षेत्र `vec(E)` दोनों वर्तमान हैं । इसके बाद इलेक्ट्रॉनपुंज बिना क्षेत्र वाले स्थान से होकर प्रतिदीप्ति परदे (fluorescent screen) S पर आघात कर दीप्ति उत्पन्न करता हैं । इलक्ट्रॉन के गमन वाला पूरा क्षेत्र निर्वातित ( evacuated) रहता हैं ।
सर्वप्रथम `vec(E)` तथा `vec(B)` क्षेत्रों की अनुपस्थिति में पर्दे S पर अविक्षेपित (undeflected) इलेक्ट्रॉन व्दारा उत्पन्न प्रदीप्त - बिंदु की स्थिति नोट की जाती हैं । फिर , विद्युत - क्षेत्र `vec(E)` की उपस्थिति में इलेक्ट्रॉन - पुंज का पर्दे पर विक्षेप `d_(1)` नोट किया जाता हैं । इसके बाद चुंबकीय क्षेत्र `vec(B)` की प्रबलता को समंजित कर दीप्ति - बिंदु को पुनः प्रारंभिक अविक्षेपित स्थिति में लाया जाता हैं । इस अवस्था में विद्युतीय बल `F_(e)` तथा चुंबकीय बल `F_(B)` एक - दूसरे को निष्फल कर देते हैं , अर्थात् `e_(E) = ev_(B)`. प्राप्त प्रेक्षणों से इलेक्ट्रॉन का विशिष्ट द्रव्यमान `(e)/(m)` निर्धारित किया जाता हैं ।
थॉमसन की प्रायोगिक व्यवस्था में टयूब को निर्वातित करने की आवश्यकता क्यो हुई ?
थॉमसन की प्रायोगिक व्यवस्था में टयूब को निर्वातित करने की आवश्यकता क्यों हुई ?
A. निर्वात में इलक्ट्रॉन के अधिक वेग से गतिशील होने के कारण पर्दे पर विक्षेप कम होगा ।
B. विदयुत - चुंबकीय तरंगे केवल निर्वात में गमन करती हैं
C. इलेक्ट्रॉन व्दारा हवा के अणुओं से टक्कर के क्रम में प्रकीर्णन (scattering) के कारण पर्दे पर तीक्ष्ण फोकस नहीं हो पाता ।
D. प्रयोग को हवा की उपस्थिति में (निर्वात उत्पन्न किए बिना ) भी किया जा सकता था ।