मेसोपोटामियावासी शहरी जीवन को महत्त्व देते थे जहाँ अनेक समुदायों और संस्कृतियों के लोग साथ-साथ रहा करते थे। युद्ध में शहरों के नष्ट हो जाने के बाद वे अपने काव्यों के माध्यम से उन्हें याद किया करते थे। मेसोपोटामिया के लोगों को अपने नगरों पर कितना अधिक गर्व था, इस बात का सर्वाधिक मर्मस्पर्शी वर्णन हमें गिल्गेमिश (Gilgamesh) महाकाव्य के अन्त में मिलता है। यह काव्य 12 पट्टिकाओं पर लिखा गया था। ऐस कहा जाता है कि गिल्गेमिश ने एनमर्कर के कुछ समय बाद उरुक नगर पर शासन किया था। वह एक महान् योद्धा था जिसने दूर-दूर तक के प्रदेशों को अपने अधीन कर लिया था, लेकिन उसे उस समय गहरा झटका लगा जब उसका वीर मित्र अचानक मर गया। इससे दु:खी होकर वह अमरत्व की खोज में निकल पड़ा। उसने सागरों-महासागरों को पार किया, और दुनियाभर का चक्कर लगाया। मगर उसे अपने साहसिक कार्य में सफलता नहीं मिली। हारकर गिल्गेमिश अपने नगर उरुक लौट आया। वहाँ जब वह अपने आपको सांत्वना देने के लिए शहर की चहारदीवारी के पास टहल रहा था तभी उसकी नजर उन पकी ईंटों पर पड़ी जिनसे नगर की नींव डाली गई थी। वह भावविभोर हो उठा। इस प्रकार उरुक नगर की विशाल प्राचीर पर आकर उस महाकाव्य की लम्बी वीरतापूर्ण और साहस भरी कथा का अन्त हो गया। यहाँ गिल्गेमिश, एक जनजातीय योद्धा की तरह यह लेखन कला और शहरी जीवन 35 नहीं कहता कि उसका अन्त निश्चित है पर उसके पुत्र तो जीवित रहेंगे और इस नगर का आनन्द लेंगे। इस प्रकार उसे अपने नगर में ही सांत्वना मिली है जिसे उसकी प्यारी प्रजा ने बनाया था।