जहाँ तक भारत का सम्बन्ध है, राष्ट्रवाद हमारे लिए आवश्यक है। हमारा अस्तित्व ही राष्ट्रीयता पर निर्भर करता है, यह हमारे जीवन-मरण का प्रश्न है। यद्यपि अपने सारे दुर्भाग्यों के लिए विदेशियों को जिम्मेदार ठहराना मूर्खता है, फिर भी इसमें कोई सन्देह नहीं कि अंग्रेजों की लम्बी गुलामी ने हममें बहुत-सी बुराइयाँ उत्पन्न कर दी हैं जिनका वास्तविक उपचार आत्म-निर्णय है। भये, कार्यरता और कपट जैसी बुराइयों को राजनीतिक राष्ट्रीयता ही दूर कर सकती है।