भारतीय अर्थव्यवस्था में लघु एवं कुटीर उद्योगों के महत्त्व को निम्नलिखित प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है
⦁ इन उद्योगों में लगभग 2.25 करोड़ लोग रोजगार में लगे हैं।
⦁ ये उद्योग आय व सम्पत्ति के सम वितरण में सहायक हैं।
⦁ श्रमप्रधान उद्योगों के कारण कर्म पूँजी से भी इनका संचालन सम्भव है।
⦁ लघु एवं कुटीर उद्योगों में ही कृषि में लगे अतिरिक्त श्रम को स्थानान्तरित किया जा सकता है।
⦁ ये उद्योग विकेन्द्रित अर्थव्यवस्था की स्थापना करते हैं जो आज के युग की माँग है।
⦁ इन उद्योगों को उपभोक्ताओं की रुचि के अनुसार समायोजित किया जा सकता है।
⦁ ये उद्योग औद्योगिक अशान्ति, हड़ताल, तालाबन्दी आदि से मुक्त रहते हैं और सहानुभूति, समानता, सहकारिता, एकता तथा सहयोग की भावना को जन्म देते हैं।
⦁ ये उद्योग विदेशी विनिमय अर्जित करने में अत्यन्त सहायक सिद्ध हुए हैं।
⦁ इन उद्योगों को चलाने के लिए विशेष शिक्षा तथा प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं होती। 10. कुटीर तथा लघु उद्योगों का माल अधिक टिकाऊ तथा कलात्मक होता है।