इन्फ्लुएन्जा या फ्लू आमतौर पर एक फैलने वाला संक्रामक रोग है। सामान्य रूप से मौसम के बदलते समय यह रोग अधिक होता है। इस रोग का प्रसार बड़ी तेजी से होता है; अतः इससे बचाव के लिए विशेष सावधानी रखनी पड़ती है।
कारण तथा प्रसार:
फ्लू नामक रोग एक अति सूक्ष्म जीवाणु द्वारा फैलता है। यह रोगाणु इन्फ्लुएन्जा वायरस कहलाता है। जुकाम के बिगड़ जाने पर फ्लू बन जाता है। फ्लू का रोग बहुत ही शीघ्र फैलता है। यह कुछ ही घण्टों में फैल जाता है।
फ्लू नामक रोग रोगी के सम्पर्क द्वारा भी फैल जाता है। फ्लू के रोगी की छींक, खाँसी तथा थूक आदि द्वारा भी फ्लू फैलता है। रोगी द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले रूमाल, बर्तन तथा अन्य वस्तुओं के सम्पर्क द्वारा भी यह रोग लग सकता है।
लक्षण: फ्लू प्रारम्भ में जुकाम के रूप में प्रकट होता है। नाक से पानी बहने लगता है। इस रोग के शुरू होते ही शरीर में दर्द होने लगता है। सारे शरीर में बेचैनी होती है तथा कमजोरी महसूस होती है। इसके साथ-ही-साथ तेज ज्वर 102° से 104° फारेनहाइट तक हो जाता है।
उपचार: फ्लू के रोगी को आराम से लिटा देना चाहिए। रोगी को चिकित्सक को दिखाकर दवा देनी चाहिए। फ्लू के रोगी को विटामिन ‘सी’ युक्त भोजन देना चाहिए।
बचाव के उपाय: फ्लू के रोगी को अन्य व्यक्तियों से दूर ही रहना चाहिए। उसे भीड़ भरे स्थानों पर नहीं जाना चाहिए। रोगी को साफ कमरे में रखना चाहिए। पौष्टिक आहार, उचित विश्राम एवं निद्रा का ध्यान रखना चाहिए।